पारद शिवलिंग महत्व मराठी - An Overview
पारद शिवलिंग महत्व मराठी - An Overview
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सबसे पहले शिवलिंग को एक सफेद कपड़े के आसन पर रखना चाहिए।
पारे, चाँदी और जड़ी बूटी को मिलाकर के जो शिवलिंग बनता है, वह पारद शिवलिंग कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को पारा बहुत प्रिय है और उनके इस शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है।।
सात सुरो मैल हो जब पारद शिवलिंग हो गये मतवाले मैरो चले चली साथ बनकर योगिनी
सुखी जीवन का सूत्र: एक शिष्य ने रामकृष्ण परमहंस से पूछा कि सभी लोग सुख-सुविधाओं का लाभ उठाते हैं, लेकिन साधु-संतों के लिए इतने कठोर नियम क्यों बनाए गए हैं?
इसकी स्थापना सोमवार के दिन चंद्र के होरा में करें।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।
शिव लिंग को भगवान शिव का निराकार स्वरुप मना जाता है. शिव पूजा में इसकी सर्वाधिक मान्यता है. शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों ही समाहित होते हैं. शिवलिंग की उपासना करने से दोनों की ही उपासना सम्पूर्ण हो जाती है. विभिन्न प्रकार के शिव लिंगों की पूजा करने का प्रावधान है.
यदि आपके घर में शिवलिंग है, तो इसके नियम जानकर उनका पालन जरूर करें, तभी आपकी पूजा फलित read more हो पाएगी.
पारद श्री यंत्र को स्थापित करने की विधि:
अपने जीवन में कामयाबी पाने के लिए आपको इस शिवलिंग की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्।
सुख वैभव की प्राप्ति और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए पारद श्री यंत्र को घर में स्थापित करना बेहद शुभ होता है। इस यंत्र की घर में स्थापना करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पारद श्री यंत्र का दैवीय प्रतीक लक्ष्मी माता और कुबेर देव को माना गया है। पारिवारिक सुख और आर्थिक मजबूती के लिए लक्ष्मी माता का ये यंत्र स्थापित किया जाता है। इसे सभी यंत्रों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस यंत्र को प्रभावकारी बनाए रखने के लिए प्रतिदिन इसकी पूजा अर्चना के साथ मंत्र उच्चारण करना बेहद आवश्यक है। विशेषरूप से होली, दिवाली, नवरात्री और शिवरात्रि के दौरान सही मंत्रोच्चार कर इस यंत्र को अधिक प्रभावकारी बनाया जाता है। पारद श्री यंत्र सोना, चांदी और तांबे का हो सकता है।
क्या इन शिवलिंगों को खरीदते समय किसी विशेष बात का ध्यान रखना चाहिए?
आमतौर पर हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है, जिनके हाथ, पैर, चेहरा आदि होता है, लेकिन एकमात्र शिव ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों रूपों में पूजे जाते हैं.